POSTED BY MR PRADEEP RAO S.N INDIA NEWS EDITOR IN CHEAF
कोरबा :- कोरबा जिले में प्रशासनिक सुचारुता और योजनाओं के क्रियान्वयन में दो प्रमुख पदों पर स्थाई अधिकारियों की अनुपस्थिति से शासन की मंशा पर लगातार प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। जिला प्रशासन दो अहम विभागों — शिक्षा विभाग और जिला पंचायत — को प्रभारी अधिकारियों के हवाले कर विकास की गाड़ी खींचने का प्रयास कर रहा है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग में प्रभारी DEO के भरोसे भविष्य निर्माण
जिले का शिक्षा विभाग, जो बच्चों के भविष्य को संवारने का सबसे अहम जिम्मा निभाता है, इस समय एक प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के भरोसे संचालित हो रहा है। टी.पी. उपाध्याय वर्तमान में प्रभारी DEO के रूप में कार्यरत हैं, जबकि इस पद पर किसी स्थाई अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है।
प्रभारी व्यवस्था होने के कारण नीतिगत निर्णयों में देर, शिक्षकों की पदस्थापना में गड़बड़ी और जनप्रतिनिधियों को समय पर सूचना न मिल पाने जैसे हालात सामने आ रहे हैं। हाल ही में जिला पंचायत की बैठक में अटैच शिक्षकों की जानकारी तक DEO कार्यालय नहीं दे पाया, जिससे स्थिति की गंभीरता उजागर हुई।
जिला पंचायत उपसंचालक का पद भी अस्थाई व्यवस्था पर निर्भर
दूसरा गंभीर मामला जिला पंचायत उपसंचालक पद को लेकर है। यह पद पूरे जिले की ग्राम पंचायतों के विकास, योजनाओं की मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन का दायित्व संभालता है। लेकिन कोरबा में इस पद पर भी केवल प्रभारी अधिकारी ही कार्यरत हैं।
स्थाई अधिकारी की कमी के चलते प्रधानमंत्री आवास, जल जीवन मिशन, मनरेगा, ग्रामीण सड़क योजनाएं, व अन्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में रुकावटें आ रही हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, क्योंकि कोई स्थाई अधिकारी इन कार्यों की जवाबदेही निभाने के लिए मौजूद नहीं है।
सरकार की लापरवाही या संसाधनों की कमी ?
यह सिर्फ कोरबा की बात नहीं है, छत्तीसगढ़ के कई जिलों में जिला पंचायत उपसंचालक का पद खाली पड़ा है, और प्रभारी अधिकारियों के भरोसे ‘विकास की नैया पार लगाने’ की कोशिश की जा रही है।
सरकार की योजनाएं तभी सफल होंगी जब उन पर निगरानी रखने और उन्हें धरातल पर उतारने के लिए स्थाई, जवाबदेह और सक्रिय अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
अब सवाल ये है…
क्या शासन इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेकर इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर स्थाई नियुक्तियां करेगा? या फिर जनता इसी तरह प्रभारी व्यवस्थाओं की अधूरी कार्यशैली का शिकार बनी रहेगी? सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा और पंचायत जैसे जनसरोकार के विभागों में तत्परता दिखाते हुए योग्य अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करे, ताकि योजनाएं कागजों से निकलकर धरातल पर उतर सकें और आम लोगों तक उनका समुचित लाभ पहुंचे।