REPORTER MR PRADEEP RAO S.N INDIA NEWS EDITOR IN CHEAF
ग्राम पंचायत चिचोली का मामला, जिला कलेक्टर द्वारा निर्धारित दिनांक पर नहीं हुआ विशेष ग्राम सभा। अधिकारी कर्मचारी लीपापोती में लगे। आखिर पंचायती राज अधिनियम के उल्लंघन के दोषी कौन? क्या दोषियों पर गिरेगी गाज या मिलेगा अधिकारियों का संरक्षण?
मामला करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत चिचोली का है। जहाँ विगत 25, 26 व 27 जून को होने वाले विशेष ग्राम सभा का आयोजन निर्धारित दिनांक पर नहीं किया गया। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या सचिव के उपस्थित नहीं रहने पर विशेष ग्राम सभा आयोजित ही न करना उचित है?
जानकारों के अनुसार : यदि कलेक्टर द्वारा आदेश जारी कर तय तिथि पर विशेष ग्राम सभा अयोजित करना सुनिश्चित किया गया हो तब पंचायत में ग्रामसभा आयोजित की जाती है जिसके कोरम पूरा करने की जिम्मेदारी संबंधित पंचायत के सरपंच, पंच, सचिव, रोजगार सहायक आदि की होती है और अगर कोरम पूरा नही होता है तो बैठक स्थगित कर दिया जाता है और उसी दिन अगले बैठक की तिथि तय कर ली जाती है लेकिन ऐसा कहीं नहीं बताया गया है कि ग्रामसभा आयोजित ही न किया जाए और अगर सचिव की छुट्टी स्वीकृति हुई तो जनपद सी.ई.ओ की जिम्मेदारी बनती है कि उसके जगह किसी और को जिम्मेदारी देकर विशेष ग्राम सभा कराए।
जनपद सी.ई.ओ के अनुसार कोरबा कलेक्टर द्वारा 19 जून को विशेष ग्राम सभा कराने संबंधी आदेश जारी किया गया था और चिचोली के सचिव संवित साहू की छुट्टी जनपद सी.ई.ओ द्वारा 18 जून से स्वीकृत किया गया लेकिन जनपद सी.ई.ओ द्वारा आखिर सचिव संवित साहू के स्थान पर किसी अन्य को ग्राम सभा कराने की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई। सी.ई.ओ साहब का कहना है कि विशेष परिस्थिति में ग्राम सभा आगे बढ़ाया जा सकता है। पर वह यह नहीं बताते की उक्त तिथि पर ग्रामसभा ही आयोजित नहीं हुआ तो उसे आगे किस आधार पर बढ़ाया गया जबकि यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि बिना ग्रामसभा बैठक के ग्रामसभा की बैठक कैसे और किसके द्वारा आगे बढ़ा दिया गया और वह विशेष परिस्थिति क्या थी यह सी.ई.ओ द्वारा नहीं बताया जा रहा। क्या सचिव संवित साहू का अनुपस्थित होना विशेष परिस्थिति की श्रेणी में आता है? क्या वहाँ के रोजगार सहायक और ग्राम सभा कराने के लिए नियुक्त प्राधिकृत अधिकारी को भी यह जानकारी हुई की सचिव छुट्टी पर है। अगर इनको जानकारी हुई तो उन्होंने जानकारी उच्चाधिकारियों को क्यों नहीं दिया। क्या यह छ. ग. पंचायती राज अधिनियम 1993 का खुलेआम उल्लंघन नहीं है?
अभी तक इस पर उच्चाधिकारियों द्वारा न तो संज्ञान लिया गया है और न जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्यवाही किया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी इस मामले को लीपापोती करते हुए दोषियों को संरक्षण देकर बचाने में लगे हैं।