कटघोरा वनमंडला क्षेत्राधिकार अन्तर्गत ग्राम डुमरमुडा में वन विभाग ने सागौन का नर्सरी लगाया है जिसमें में ग्राम पंचायत अमझर (अ) के सरपंच छत्तरपाल सिंह कंवर ने पंचायत के उपयोग के करने का कारण बताते हुवे लगभग 500 से अधिक सागौन के वृक्षों का कटाई किये हैं।जिसकी पुष्टि करने के लिये कोरबा के सबसे युवा एवं सक्रिय RTI कार्यकर्ता उदित कुमार ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) के तहत कटघोरा के वन मंडलाधिकारी से जानकारी मांगा जिसमें वनविभाग के द्वारा अमझर (अ) के सरपंच को सागौन के वृक्षों की कटाई करने का आदेश दिया गया हो। जिसके जवाबी कार्यवाही में कटघोरा के वन मंडलाधिकारी ने पत्र क्रमांक/स्टेनो / 2025/1979 कटघोरा दिनांक 19/05/2025 के माध्यम से जवाब दिया है की इसके संबंध में वन मंडलाधिकारी के पास जानकारी निरंक है अर्थात कोई भी जानकारी नहीं ।
उपरोक्त अनुसार ग्राम पंचायत अमझर (अ) के सरपंच के द्वारा अपने पद का दुरपयोग कर विधि विरुद्ध तरीके से डुमरमुडा में वन विभाग द्वारा लगाये गए सागौन के नर्सरी में 500 से अधिक सागौन के वृक्षों का कटाई किया गया है।
जिसके संबंध में RTI कार्यकर्ता उदित कुमार का जवाब कुछ इस प्रकार है:-
1. अनुच्छेद 48(A) के तहत भारतीय संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन करने का अधिकार प्रदान करता है और राज्य सरकार का दायित्व है कि देश के पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन और वन्य जीवों के हेतु कार्य करेगा जिसमें राज्य सरकार की प्रशासन भी मौन है।
2. संविधान 4 (क)के भाग में मूल कर्तव्य का वर्णन है जिसमें भारत के प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है कि वो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(1) छ के अंतर्गत प्रकृति वन्य झील नदी और वन्य जीव सभी का रक्षा करें एवं इनके प्रति दया का भाव रखें , जिसके अनुसार सरपंच के द्वारा काटे गये वृक्षों का मै विरोध और शिकायत कर रहा हूं।
3. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा 2 के तहत वन क्षेत्रों के अंतर्गत किसी भी प्रकार की गतिविधि बिना केन्द्र सरकार के अनुमोदन के बगैर मान्य अथवा स्वीकार नहीं होगी । जबकि ग्राम पंचायत अमझर (अ) के सरपंच ने डुमरमुडा में वन विभाग द्वारा लगाये गए सागौन के नर्सरी में 500 से अधिक सागौन के वृक्षों का कटाई करने से पूर्व न तो केंद्र सरकार से अनुमोदन लिया है और न है राज्य सरकार से अनुमोदन लिया है।
उपरोक्त अनुसार ग्राम पंचायत अमझर अ के सरपंच छत्तरपाल सिंह कंवर के द्वारा अपने पद का दुरपयोग कर विधि विरुद्ध तरीके से वन एवं पर्यावरण को काफी बड़ी क्षति पहुंचाया गया है जिसकी पूर्ति कर पाना भी संभव नहीं है