बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दल्ली राजहरा क्षेत्र में अवैध शराब बिक्री का कारोबार दिनों-दिन बेलगाम होता जा रहा है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से लेकर बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाले स्थलों तक, अवैध शराब के धंधेबाज खुलेआम अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। माफियाओं के मन से पुलिस का खौफ गायब हो चुका है, वहीं स्थानीय लोग पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं। जब कानून के रखवाले ही आंख मूंद लें, तो असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दल्ली राजहरा के “राजहरा बाबा क्षेत्र में लोकेश शर्मा नामक युवक पिछले कई महीनों से अवैध शराब की बिक्री कर रहा है। यह युवक न सिर्फ एक ही जगह, बल्कि शहर के 256 चौक में भी प्रतिदिन शाम को अवैध रूप से शराब बेचना जारी रखे हुए है।” लोग बताते है कि किसी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष के संरक्षण में यह धंधा बेरोक टोक जारी है। वहीं, दल्ली राजहरा के बस स्टैंड और आसपास के इलाकों में भी भारी मात्रा में अवैध शराब का खुलेआम कारोबार फल-फूल रहा है।
स्थिति यह है कि बस स्टैंड, जो शहर के केंद्रीय प्रवेश द्वार जैसा है, वहां भी पुलिस की मौजूदगी महज औपचारिक बनकर रह गई है। लोगों का कहना है कि चौक-चौराहों से होती हुई अवैध शराब भोले-भाले युवाओं से लेकर मजदूर तबके तक आसानी से पहुँच रही है। इस बारे में कई बार स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने पुलिस से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई निर्णायक कार्यवाही नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि “दल्ली राजहरा का पुराना बाजार और मनोहर ऑफिस के पास स्थित नगरपालिका के व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स में भी अवैध शराब की बिक्री खुलेआम हो रही हैं। लोगो ने बताया कि यहां एक जायसवाल नामक व्यक्ति चॉकलेट, टॉफी, बिस्किट बिक्री की आड़ में भारी मात्रा में अवैध शराब खुलेआम बेच रहा है।” बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो पुलिस छापा मारती है, न ही किसी आरोपी को गिरफ्तार किया गया। बल्कि महज खानापूर्ति के नाम पर आसपास किसी शराबी को पकड़कर उसके नाम पर मामला दर्ज कर दिया जाता है।
स्थानीय निवासियों की माने तो, शराब माफिया और पुलिस के बीच मिलीभगत या लापरवाही शहर में सार्वजनिक चर्चा का विषय बन चुकी है। लगातार अवैध कारोबार चलने के पीछे सबसे बड़ा कारण पुलिस की निष्क्रियता और कमजोर निगरानी मानी जा रही है। पुलिस का रवैया अभूतपूर्व ढिलाई और गैर-जिम्मेदारी की ओर इशारा करता है, जिससे नशे के इस अवैध व्यापार को और बढ़ावा मिल रहा है।
युवाओं में नशा बढ़ने, महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा को खतरा होने और शांति व्यवस्था में खलल पड़ने के बावजूद पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। हर शाम प्रमुख चौक चौराहों पर शराब बिकना, बस स्टैंड जैसे संवेदनशील स्थानों पर इस कदर अवैध कारोबार का फलना-फूलना, पुलिस की कार्यक्षमता और इच्छाशक्ति पर सीधा सवाल उठाता है।
समाजसेवी संगठनों और प्रमुख नेताओं का कहना है कि यदि पुलिस प्रशासन सजग और सक्रिय हो जाए, तो इस अवैध कारोबार पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है। लेकिन न तो रात में पेट्रोलिंग होती है और न ही संदिग्धों का सत्यापन, जिससे अपराधी बेलगाम हैं। राजहरा क्षेत्र की जनता पुलिस के इस सुस्त रवैये से बेहद आक्रोशित है और मांग कर रही है कि अविलंब ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि अवैध शराब कारोबार का जड़ से सफाया हो सके। पुलिस की निष्क्रियता ने न केवल असामाजिक तत्वों को बढ़ावा दिया हुआ है बल्कि पुलिस विभाग की साख को भी बट्टा लगाया हुआ है।
अब “देखना होगा कि जिले के पुलिस कप्तान कब अपने मातहतो को सख्त निर्देश देते है।” जिसके बाद स्थानीय पुलिस प्रशासन कब तक जागता है और कब जनता की उम्मीदों पर खरा उतरता है। फिलहाल, अवैध शराब की इस बेलगाम मंडी में पुलिस की नाकामी ही सबसे बड़ा सवाल है।