। कोरबा जिले का स्वास्थ्य विभाग अब धीरे-धीरे भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। S n India news। पहले ही इस विभाग में चल रहे खेल को उजागर कर चुका है, जहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में पदस्थ एक लेखा अधिकारी ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर मनमानी की और विभागीय अधिकारियों की आंख में धूल झोंकते हुए घोटालों का जाल बिछाया।
अब ताजा मामला उसी सीएमएचओ कार्यालय के अंतर्गत संचालित जिला खनिज न्यास शाखा (DMF) का है। यहां भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ सूर्यनारायण केसरी की सरपरस्ती में जबरदस्त खेल चल रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो यहां डीएमएफ मद को मानो इस कार्यालय ने अपनी जागीर समझ रखा है। नियम, कायदे और वित्तीय प्रावधान किसी की परवाह नहीं।
अपने-अपनों को उपकृत कर रहे अफसर
यहां अफसरों का एक ही ध्येय है — अपने चहेतों को उपकृत करना और मलाई काटना। किसे कितना पैसा देना है, कौन सा टेंडर किसको देना है, किस वेंडर का बिल पास कराना है — सब कुछ सेटिंग और साठगांठ का खेल है। इस पूरे भ्रष्टाचार में सीएमएचओ डॉ केसरी का सबसे खास सिपहसालार डॉ कुमार पुष्पेश है, जो इन दिनों विभाग में हर बड़े फैसले पर निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
डॉ पुष्पेश की करतूतों का लंबा इतिहास
असल में डॉ कुमार पुष्पेश की मूल नियुक्ति मेडिकल ऑफिसर (MO) करतला के लिए हुई थी। लेकिन अफसरी का ऐसा शौक चढ़ा कि साहब ने करतला विकासखंड के अस्पतालों और डॉक्टरों पर बीएमओ बनकर राज किया। इसके बाद लगातार 6 साल से सीएमएचओ कार्यालय में डटे हुए हैं। विभाग में कई महत्वपूर्ण योजनाओं के नोडल अफसर भी इन्हीं को बनाया गया है।
हैरानी की बात ये है कि विभाग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ सीके सिंह होते हुए भी, जब भी सीएमएचओ डॉ केसरी छुट्टी पर जाते हैं, तो चार्ज डॉ पुष्पेश को सौंप दिया जाता है। वर्तमान में भी यही स्थिति है। फिलहाल भी डॉ केसरी के अवकाश पर रहते डॉ पुष्पेश ही कार्यालय प्रभारी हैं और ताबड़तोड़ आदेश निकाल रहे हैं।
नियम-कायदों की कोई परवाह नहीं
सूत्रों की मानें तो डीएमएफ मद के तहत योजनाओं में स्वीकृति और फाइलों का निपटारा सिर्फ सिफारिश और सेटिंग से होता है। विभाग में न तो फंड खर्च की कोई पारदर्शी प्रक्रिया है और न ही वेंडरों का चयन नियमानुसार। जिन लोगों का ‘सेटिंग’ हो जाती है, उनकी फाइलें सीधी हरी झंडी पा जाती हैं। बाकियों की फाइलें महीनों धूल खाती रहती हैं।
पहले एपिसोड में ‘लैब ऑन व्हील्स’ योजना का खुलासा
इस पूरे खेल की परत दर परत पोल खोलने जा रहा है। कल से इसके पहले एपिसोड की शुरुआत होगी, जिसमें हम बताएंगे कि कैसे ‘लैब ऑन व्हील्स’ योजना में अपनों को वेंडर बनाकर सरकारी पैसे की जमकर बंदरबांट की गई। चहेते ठेकेदारों को काम बांटकर, बिना नियम के लाखों का भुगतान किया गया।
हर दिन होगा एक नया खुलासा
इसके बाद हर दिन एक नया खुलासा होगा। किस योजना में, किस अफसर ने, किस वेंडर को उपकृत किया, कितना फंड बंटा, कौन सी गड़बड़ी की गई — हर परत सार्वजनिक की जाएगी।
अगर आपके पास भी इस विभाग के किसी घोटाले या भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी, दस्तावेज या शिकायत है, तो हमें भेजें। हम आपकी पहचान गोपनीय रखते हुए उसे उजागर करेंगे।