उससे पूर्व 13 बार निरस्त नारायण प्रसाद बनाम कार्यपालन यंत्री विद्युत वितरण कंपनी कोरबा की एस आई टी जांच कराई जाए 🇮🇳 पुलिस, कलेक्टर, जज दोषी तो जनता किस पर विश्वास करें?
दिनांक: 16.08.2025 प्रेस विज्ञप्ति
पंचशील कौशल सेवा संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष श्री नारायण प्रसाद केशरवानी द्वारा यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है कि स्व. सुनंदा देवी के जन्मदिवस 17 जुलाई l ‘नागरिक सुरक्षा और अधिकार दिवस’ के रूप में घोषित किया जाए ।
यद्यपि सुनंदा देवी की संवैधानिक हत्या संवैधानिक अधिकार प्राप्त 19 जजों ने किया। क्या स्वतंत्रता की परिभाषा यही है
यह दिवस उन सभी नागरिकों को समर्पित रहेगा जो अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण, विधिसम्मत, और निस्वार्थ संघर्ष करते हैं।
स्व. सुनंदा देवी एक पत्रकार, संस्था प्रमुख, और मातृशक्ति का प्रतीक थीं, जिन्होंने विद्युत विभाग और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में कार्य की जीवन भर सेवा भाव समर्पित रही
इस दिवस से वर्तमान तक के आयोजन से
• नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु जागरूकता बढ़ेगी 15 अगस्त को प्रकाशित नव ऊर्जा दैनिक समाचार पढ़ें?
• संस्थागत अन्याय और दमनकारी तंत्र के विरुद्ध जनचेतना जागेगी तो संविधान बचे।
• मीडिया, न्यायपालिका और कार्यपालिका के उत्तरदायित्व की पुनर्समीक्षा जब होगी।
श्री नारायण प्रसाद केशरवानी द्वारा यह निवेदन किया गया है कि भारत सरकार और राज्य सरकार इसे विधिक मान्यता प्रदान करें। सुनंदा देवी की उपस्थिति में 1002074900 विद्युत मीटर की विद्युत जांच की एस आई टी जांच करें और करावें हमारी देश – प्रदेश की सरकार और दोषियों को फांसी दें।
नारायण इस बात को प्रमाणित करता है कि भारत के न्यायालय में न्याय नहीं विवाद की उत्पत्ति होती है। सुनंदा की मौत संविधान की मौत से कम नहीं ऐसा माना है।
समर्पण के साथ,
नारायण प्रसाद केशरवानी
प्रदेश अध्यक्ष – पंचशील कौशल सेवा संस्थान संस्था के उद्देश्य कंडिका 4.1 से 4.23 के तहत जनहित में जारी संघर्ष 🇮🇳
[16/8, 7:56 am] नारायण केसरवानी: संवैधानिक अधिकार भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए गए मूल अधिकार हैं जो उनके जीवन को गरिमापूर्ण और स्वतंत्र बनाने में मदद करते हैं। ये अधिकार नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करते हैं।
*मौलिक अधिकार*
– समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18): सभी नागरिकों को समान अवसर और समानता का अधिकार।
– स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22): नागरिकों को अभिव्यक्ति, सभा, संगठन और आवागमन की स्वतंत्रता।
– शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24): नागरिकों को शोषण से बचाव का अधिकार।
– धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28): नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता।
– सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30): अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी संस्कृति और शिक्षा का अधिकार।
– संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32-35): नागरिकों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय में जाने का अधिकार।
*संवैधानिक अधिकारों का महत्व*
– नागरिकों को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करते हैं।
– नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार देते हैं।
– नागरिकों को अपने धर्म और संस्कृति का पालन करने की स्वतंत्रता देते हैं।
– नागरिकों को न्यायपालिका में जाने का अधिकार देते हैं।
*संवैधानिक अधिकारों की सीमाएं*
– राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए सीमित किए जा सकते हैं।
– अन्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सीमित किए जा सकते हैं।
संवैधानिक अधिकार नागरिकों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें गरिमापूर्ण और स्वतंत्र जीवन जीने में मदद करते हैं। ¹ ²