कोरबा – जिले के अमगांव में एसईसीएल गेवरा क्षेत्र द्वारा कोयला उत्खनन के लिए निजी भूमि और भूमि पर स्थित मकान और उद्यान को तोड़ने का मामला सामने आया है। भू विस्थापित परिवार का आरोप है कि एसईसीएल ने बिना सूचना के उनके मकान और उद्यान को तोड़ दिया, जिससे उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
भू विस्थापित परिवार ने लगाए आरोप
भू विस्थापित परिवार के सदस्य राजेश कुमार जायसवाल ने बताया कि एसईसीएल गेवरा क्षेत्र द्वारा उनकी निजी भूमि और भूमि पर स्थित मकान और श्री कामद गिरी उद्यान का मुआवजा निर्धारण किया गया था, लेकिन अभी तक अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल के अधिकारी और कलिंगा कंपनी के कर्मचारियों ने बिना सूचना के उनके मकान को तोड़ दिया और उद्यान में लगे पेड़-पौधों को काट दिया।
एसईसीएल के अधिकारीयों पर कार्रवाई की मांग
भू विस्थापित परिवार ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि एसईसीएल के अधिकारीयों और कलिंगा कंपनी के कर्मचारियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत कानूनी कार्यवाही की जाए और उन्हें अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। परिवार ने बताया कि मकान तोड़ने से उनके उपयोगी समान नष्ट हो गए और उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
जिला कलेक्टर से की गई शिकायत
भू विस्थापित परिवार ने जिला कलेक्टर से शिकायत की है और कार्रवाई की मांग की है। जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और जल्द ही कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
भू विस्थापित परिवार का धरना प्रदर्शन
भू विस्थापित परिवार ने एसईसीएल के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान करने की मांग की। परिवार ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन करेंगे।
एसईसीएल की भूमिका पर सवाल
एसईसीएल की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने बिना सूचना के मकान और उद्यान को क्यों तोड़ा? एसईसीएल के अधिकारीयों का कहना है कि उन्होंने नियमों के अनुसार कार्रवाई की है, लेकिन भू विस्थापित परिवार का आरोप है कि एसईसीएल ने उनके साथ अन्याय किया है।
अब देखना यह है कि जिला कलेक्टर की जांच में क्या निकलता है और एसईसीएल के अधिकारीयों पर क्या कार्रवाई की जाती है। भू विस्थापित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है और वे अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।