कोरबा CMHO ऑफिस में लैब ऑन व्हील्स के नाम पर “खेला”, कलेक्टर की ईमानदार मंशा पर अफसरशाही ने लगाया दाग !
कोरबा।
कोरबा जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में मरीजों को सस्ती, सुलभ और समय पर जांच सुविधा देने की मंशा से ईमानदार और कर्मठ कलेक्टर ने लैब ऑन व्हील्स (हब एंड स्पोक मॉडल) योजना शुरू कराई। लेकिन अफसरशाही का चरित्र कब सुधरा है! कलेक्टर की नेक सोच पर CMHO डॉ. सूर्य नारायण केशरी और उनके सुकुमार डॉ. पुष्पेश ने अपनी सेटिंग और चमचागीरी की मलाईदारी जमाने का खेल रच डाला।

कलेक्टर ने बनाई शानदार योजना
कोरबा के सुदूर गांवों में मरीजों के डायग्नोस्टिक सैंपल समय पर लैब तक लाने और जांच कराने की दिक्कत को दूर करने के लिए कलेक्टर ने ड्रोन ट्रांसपोर्ट से लेकर ऑनलाइन रिपोर्ट सिस्टम की आधुनिक योजना बनाई। जब कंपनियों ने खर्च ज्यादा बताया, तो कलेक्टर ने DMF मद से बाइक राइडर नियुक्त कर सैंपल कलेक्शन और लैब तक पहुंचाने का शानदार लोकल मॉडल तय किया। इससे लोगों को सुविधा मिलती और सरकारी खजाने का दुरुपयोग भी नहीं होता।

यहीं से शुरू हुआ “खेला” — केशरी और पुष्पेश का
कलेक्टर की मंशा तो ईमानदार थी लेकिन CMHO डॉ. सूर्य नारायण केशरी और उनके सुकुमार डॉ. पुष्पेश ने इसमें अपनी सेटिंग घुसा दी। 16 राइडर की सैलरी में ज्यादा खेल नहीं था, तो दोनों ने प्रचार सामग्री और सामाग्री सप्लाई में बंदरबांट की स्कीम रच दी।

सामाग्री में खुला खेल — किस दाम का क्या खेला ?
₹300 की टी-शर्ट ₹800 में।
₹1300 का हेलमेट ₹1950 में।
₹1000 का कोल्ड बॉक्स ₹3000 में।
₹800 का रेनकोट ₹2000 में।
28 अगस्त 2024 को DMF से इसकी स्वीकृति भी ले ली गई। ईमानदार कलेक्टर की आंखों में धूल झोंक कर खेल की तैयारी हो चुकी थी।

टेंडर नहीं, कोटेशन वाला सेटिंग मॉडल
सरकारी नियमों को ताक पर रखकर टेंडर प्रक्रिया छोड़ दी गई। डॉ. केशरी और पुष्पेश ने अपनी सेटिंग वाली 3 फर्मों — प्रगति ऑफसेट प्रिंटर, जेड ग्राफिक्स, और एलिस प्रिंटर से 16 अक्टूबर 2024 को एक ही पत्र में कोटेशन मंगवा लिया।

हैरत की बात — तीनों ने 23 अक्टूबर 2024 को एक ही दिन कोटेशन भी जमा किया। और सबसे मजेदार — तीनों के कोटेशन का फॉर्मेट एक जैसा और रेट भी लगभग तयशुदा।

 

यानि अफसरशाही का क्लासिक खेल… “कोटेशन तो लो, लेकिन अपने ही भाई-बंदों से।”

आईस बॉक्स में भी “अपना बंदा”
आईस बॉक्स के लिए भी बिना रेट पता किए 2950 रुपए का ऑर्डर अपने चहेते ठेकेदार को पकड़ाया गया, जबकि बाजार में वही बॉक्स 1000-1200 रुपए में उपलब्ध था।

सवाल उठे — कलेक्टर की मंशा के खिलाफ किसने किया ये खेल?
अब सवाल है:

बिना टेंडर लाखों का सामान कैसे खरीदा गया?
तीनों कोटेशन एक ही दिन और एक जैसे फॉर्मेट में कैसे पहुंचे ?
स्वीकृत दर से तीन गुना दाम पर अनुमति किसने दी?
क्या कलेक्टर को इस खेल की भनक थी, या CMHO और उनके सुकुमार ने आंखों में धूल झोंक दी ?
सूत्रों का कहना है कि कलेक्टर की मंशा बिल्कुल ईमानदार रही और अफसरों ने अपने दफ्तर के भीतर ही यह खेल रचा। अब देखना ये है कि कलेक्टर इस पर क्या सख्त कदम उठाते हैं।

सारा खेल ऐसा हुआ कि ड्रोन उड़ने से पहले ही सेटिंग उड़ गई, सैंपल लेने से पहले रेट फिक्स हो गया। योजना जनता की सेवा की थी, लेकिन डॉ. केशरी और डॉ. पुष्पेश ने इसे अपने निजी हित साधने का जरिया बना डाला।

अगला खुलासा जल्द !
अब सवाल है कि कलेक्टर इन अफसरों की करतूत पर कब सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं ? जनता की नज़र अब कलेक्टर की अगली कार्रवाई पर है। कल हम सुकुमार के नए कारनामो से आपको अवगत कराते है

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