कोरबा।
देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर आए दिन हो रहे हमले और झूठे आरोप समाज व लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बनते जा रहे हैं। ताज़ा मामला कोरबा जिले का है, जहाँ दैनिक गोल्ड न्यूज़ के संभाग ब्यूरो चीफ़ प्रमोद गुप्ता पर मनगढ़ंत और झूठी शिकायत दर्ज कर पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुँचाने की कोशिश की गई है।
श्री गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक को विस्तृत आवेदन सौंपते हुए कहा कि अमलीभाठा गांव स्थित सुरुचि क्लिनिक का संचालन आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. प्रदीप कश्यप द्वारा नियम विरुद्ध रूप से किया जा रहा है। कई बार ब्लॉक स्तरीय मेडिकल टीम की जांच में क्लिनिक से एलोपैथिक दवाइयों का जखीरा और अवैध इलाज का खुलासा हो चुका है। इसके बावजूद ग्रामीणों को बरगलाकर मरीजों को भर्ती करना, खून निकालना और इंजेक्शन लगाना जैसे कार्य जारी हैं।
प्रमोद गुप्ता का कहना है कि 21 सितंबर को जब वे अपने साथी पत्रकार राजकुमार दुबे के साथ समाचार निष्पादन के लिए क्लिनिक पहुँचे, तो डॉक्टर और उसके सहयोगियों ने उलझने की कोशिश की तथा मोबाइल व माइक छीनने का प्रयास भी किया। इस घटना की पूरी वीडियोग्राफी उनके पास सुरक्षित है और क्लिनिक में लगे सीसीटीवी कैमरों में भी सारी गतिविधियाँ दर्ज हैं।
उन्होंने बताया कि 22 सितंबर को जब इस विषय पर समाचार प्रकाशित किया गया, तब डॉक्टर प्रदीप कश्यप ने बौखलाहट में आकर उनके और अन्य पत्रकारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। यह शिकायत पूरी तरह निराधार है और पत्रकारिता को बदनाम करने की साजिश मात्र है।
गौरतलब है कि पूर्व में भी कई पत्रकारों ने इस क्लिनिक की खामियों को उजागर किया है। लेकिन हर बार डॉक्टर की ओर से पत्रकारों पर ही लेन-देन और ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाए जाते रहे हैं। प्रमोद गुप्ता ने कहा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। यदि पत्रकारों को ही सच उजागर करने पर डराने-धमकाने या झूठे आरोपों में फँसाने का सिलसिला चलता रहा, तो आम जनता तक सच्चाई पहुँचना असंभव हो जाएगा।
उन्होंने पुलिस अधीक्षक से माँग की है कि क्लिनिक के पूरे सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित कर निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि यह सिद्ध हो सके कि समाचार निष्पादन के दौरान पत्रकारों ने किसी प्रकार की अनुचित हरकत नहीं की है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि ग्रामीणों को ठगने वाले ऐसे अवैध चिकित्सा केंद्रों पर सख़्त कार्रवाई की जाए।
पत्रकारिता समाज का आईना होती है, लेकिन जब आईना ही तोड़ने की कोशिश की जाए तो लोकतंत्र की बुनियाद हिल जाती है। प्रमोद गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य केवल समाचार प्रसारित करना नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, अवैध गतिविधियों और जनहित से जुड़े मुद्दों को उजागर करना है। ऐसे में पत्रकारों को सुरक्षा और सम्मान देना प्रशासन व समाज दोनों की जिम्मेदारी है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पत्रकारों को सच दिखाने के एवज में बार-बार निशाना बनाया जाएगा? यदि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ही असुरक्षित रहेगा, तो आमजन के अधिकारों की रक्षा कौन करेगा?