REPORTER MR PRADEEP RAO S.N INDIA NEWS EDITOR IN CHEAF
कुसमुंडा खदान क्षेत्र की भूविस्थापित महिलाओं ने रोजगार और मुआवजे की मांग को लेकर महाप्रबंधक कार्यालय के सामने अर्धनग्न होकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। प्रभावित महिलाओं का आरोप है कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा उनकी जमीन के बदले रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया गया, और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अन्य लोगों को नौकरियां दी जा रही हैं।
महिलाओं का कहना है कि उनके भूविस्थापन के प्रकरण वर्षों से लंबित हैं, और SECL अधिकारी उन्हें लगातार गुमराह कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि उनकी जमीन के बदले नौकरी का हक उनसे छीना जा रहा है, और फर्जी दस्तावेजों के जरिए गैर-पात्र लोग उनकी जगह नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा, मुआवजे में 60% कटौती कर 40% देने की बात से भी प्रभावित ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि यह नीति उनके साथ अन्याय है, क्योंकि उन्होंने अपनी जमीन पर घर बनाए थे, फिर भी मुआवजा कम दिया जा रहा है।प्रदर्शनकारियों ने शासन-प्रशासन और SECL प्रबंधन पर कुम्भकर्णी नींद सोने का आरोप लगाया। महिलाओं ने कहा, “हमने बार-बार हड़ताल की, लेकिन न तो SECL के CMD, DJMS, न ही विजिलेंस हमारी मांगों पर ध्यान दे रही है। क्या न्यूज के माध्यम से हमारी आवाज उन तक नहीं पहुंचती?” एक महिला ने गुस्से में कहा कि SECL अधिकारियों में महिलाओं के प्रति सम्मान की कमी है, और एक अधिकारी ने तो उन्हें “हवेली में आने” तक कह दिया, जो उनकी गरिमा पर हमला है।
प्रभावितों ने यह भी बताया कि पुलिस गरीबों को डराने-धमकाने का काम करती है, जबकि उनका हक मांगना उनका अधिकार है। दीपका, गेवरा, कुसमुंडा और मानिकपुर जैसे खदान क्षेत्रों के लोग SECL की लचर व्यवस्था से त्रस्त हैं। उनका कहना है कि अगर एशिया का नंबर वन खदान होने का दावा है, तो कार्यप्रणाली भी नंबर वन होनी चाहिए।
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे धरना और भूख हड़ताल जारी रखेंगी। उन्होंने मांग की कि फर्जी नौकरियों की जांच हो, पात्र लोगों को रोजगार दिया जाए, और मुआवजे में कटौती बंद हो। साथ ही, किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी SECL कुसमुंडा और बिलासपुर मुख्यालय की होगी।