REPORTER MR PRADEEEP RAO S.N INDIA NEWS EDITOR IN CHEAF 

कोरबा: एमबीबीएस संकाय में दाखिला लेने वाले भावी चिकित्सकों की पढ़ाई अब सिर्फ अस्पताल और कॉलेज के कैंपस ताकि सीमित नहीं रहेगी. एनएमसी के निर्देशों के तहत मेडिकल कॉलेज के प्रत्येक छात्र-छात्राओं को फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम का हिस्सा बनना होगा. महाविद्यालय में प्रवेश लेते ही अस्पताल की परिधि में आने वाले किसी भी ग्रामीण परिवेश के कम से कम किसी एक परिवार को गोद लेना होगा. इस परिवार के बुजुर्ग से लेकर बच्चों तक के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्टूडेंट की होगी. समय-समय पर उनसे मुलाकात करते हुए वह ग्रामीणों में स्वास्थ्य के प्रति एक चेतना विकसित करेंगे.

नई गाइडलाइन अनुसार छात्र बनेंगे प्रोग्राम का हिस्सा: नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की नई गाइडलाइन के अनुसार फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत कॉलेज प्रबंधन को कॉलेज स्तर पर दो गांव गोद लिए जाएंगे. यहां छात्र सीधे ग्रामीणों के बीच रहकर परिवार के सदस्यों का सेहत पर ध्यान रखेंगे. 5-5 छात्रों की एक छोटी-छोटी टीमें बनाई जाएगी. एक टीम को एक परिवार आवंटित किया जाएगा. फिलहाल नए बैच में 125 एमबीबीएस के छात्र हैं. इनके अलावा इंटर्नशिप करने के लिए भी जो छात्र मेडिकल कॉलेज आएंगे. उन्हें भी इस व्यवस्था का हिस्सा बनना होगा. यह एक अनिवार्य व्यवस्था होगी.

इलाज के साथ जागरुकता बढ़ाएंगे छात्र: छात्र गांव में शिविर लगाकर इलाज, जागरूकता और सेवा का काम करेंगे. बीमार लोगों को अपनी देखरेख में अस्पताल भी पहुंचाना होगा. साथ ही साथ पढ़ाई के दौरान ग्रामीण परिवार के स्वास्थ्य पर नजर रखनी होगी. इस गाइडलाइन के तहत शासन की मंशा मेडिकल छात्र-छात्राओं को जमीनी हकीकत से जोड़ना और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ करना है.सेवा भाव की भावना के साथ ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेंगे डॉक्टर: इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा.नये पाठ्यक्रम में चिकित्सकों में सेवा भावना और व्यवहारिक ज्ञान बढ़ाने पर फोकस है. डॉक्टर्स को सिर्फ मरीज की बीमारी ही नहीं, बल्कि उसकी सामाजिक और पारिवारिक स्थिति भी समझनी होगी. मेडिकल कॉलेज को गोद गांव में हर माल स्वास्थ्य शिविर, टीकाकरण, स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्य करने होंगे। छात्र टेलीमेडिसिन और मोबाइल यूनिट्स के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों से मरीजों को जोड़ेगे. इससे बेहतर स्वास्थ्स सुविधा मिलेगी. स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में लगातार प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, इसका व्यवसायीकरण भी हुआ है, ऐसे में चिकित्सकों में सेवा भावना का विकास होना भी बेहद जरूरी है.

इस प्रोग्राम के कई फायदे होंगे: मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन केके सहारे ने बताया कि एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार नए बैच के प्रत्येक छात्र-छात्राओं को कम से कम एक परिवार को गोद लेना होगा. पांच-पांच छात्रों का एक बैच बना देंगे और उन्हें एक परिवार को गोद लेना होगा. इसे फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम कहा जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में हम देखते हैं कि कई तरह की बीमारी से लोग ग्रसित रहते हैं. स्वास्थ्य के प्रति चेतना नहीं होती, एमबीबीएस के छात्र हों या फिर इंटर्नशिप करने वाले, सभी भावी चिकित्सक ग्रामीणों में चेतना का विकास करेंगे. इसके साथ ही हमें ग्रामीण क्षेत्र में पनपने वाली उल्टी, दस्त डायरिया जैसी बीमारियों का भी पता चलेगा. उनके स्वास्थ्य का भी निदान होगा और हमारे छात्र भी ग्रामीण परिवेश से रूबरू होंगे. इस प्रोग्राम से कई तरह के फायदे होंगे.

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