उत्तरकाशी।’ गंगोत्री ग्लेशियर के वैज्ञानिक दौरे पर 1990-91 में पहुंचे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने उत्तरकाशी में हालिया आपदा को मानवजनित गलती करार दिया है। उन्होंने कहा कि 35 वर्षों में धराली क्षेत्र में अंधाधुंध बसासत और अवैज्ञानिक निर्माण कार्य के चलते खीर गंगा जैसी नदियों के प्राकृतिक मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे इस प्रकार की आपदाएं जन्म ले रही हैं।

वैज्ञानिक ने बताया कि जब वे अपने पहले गंगोत्री ग्लेशियर के वैज्ञानिक दौरे पर गए थे, तब धराली क्षेत्र में बेहद सीमित निर्माण था। लेकिन अब वहां खीर गंगा नदी की बाढ़ के साथ आए मलबे के ऊपर होटल और मकान बना दिए गए हैं। यह न केवल पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन और संपत्ति को भी संकट में डालता है।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “यह आपदा किसी प्राकृतिक कारण से नहीं, बल्कि मानव की एक बड़ी गलती का परिणाम है।” उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि नदियों के बहाव क्षेत्र में निर्माण पर सख्ती से रोक लगे और वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर ही विकास कार्य किए जाएं।

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